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लोन लिमिट और जीएसटी कंपनसेशन पर हिमाचल के साथ अन्याय: सुक्खू

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मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश के लिए बंद हुए जीएसटी कंपनसेशन पर चिंता व्यक्त की
कंज्यूमर स्टेट नहीं होने के कारण हिमाचल को जीएसटी से कम राजस्व मिलता है
जीएसटी कंपनसेशन बंद होने से हर साल राज्य को 3000 करोड़ का नुकसान हो रहा है

GST Compensation Himachal Pradesh: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हिमाचल प्रदेश को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए केंद्र से मदद की अपील की। उन्होंने कहा कि जीएसटी कंपनसेशन बंद होने के कारण राज्य को हर साल लगभग 3000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, जिससे प्रदेश के विकास कार्यों पर असर पड़ रहा है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि हिमाचल एक प्रोड्यूसर स्टेट है, लेकिन यहां उपभोक्ता राज्यों की तुलना में जीएसटी से होने वाला राजस्व काफी कम है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बद्दी जैसे फार्मा हब से उत्पादन तो होता है, लेकिन जीएसटी लाभ का बड़ा हिस्सा कंज्यूमर स्टेट्स को चला जाता है। ऐसे में जीएसटी कंपनसेशन बंद होने से प्रदेश के खजाने पर भारी दबाव पड़ रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने हिमाचल की लोन लिमिट कम कर दी है, जिससे राज्य के लिए आर्थिक संसाधन जुटाना और कठिन हो गया है। मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि राज्य ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करके जनता की भलाई का कार्य किया है, लेकिन इसकी वजह से केंद्र ने लोन लिमिट में कटौती कर दी, जो कि प्रदेश के विकास में बड़ी बाधा बन रही है।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार केंद्र से इन मुद्दों को लेकर संवाद करेगी। उन्होंने बताया कि जनवरी में बजट तैयारियों के दौरान वह केंद्रीय नेताओं से मुलाकात करेंगे और जीएसटी कंपनसेशन की बहाली और लोन लिमिट बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण विषयों को उठाएंगे।

उन्होंने कहा, “हिमाचल के विकास के लिए वित्तीय स्थिरता जरूरी है। केंद्र सरकार को यह समझना चाहिए कि पहाड़ी राज्यों के पास सीमित संसाधन हैं। जीएसटी कंपनसेशन बंद करना और लोन लिमिट कम करना, राज्य के आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।”